हमारी संवैधानिक संस्थाएं एक-दूसरे का सम्मान करें: धनखड़

लखनऊ

राजधानी लखनऊ में गुरुवार को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक 'चुनौतियां मुझे पसंद हैं' के विमोचन कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम जानकीपुरम स्थित एकेटीयू में आयोजित हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना व पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र समेत कैबिनेट मंत्री मौजूद रहे। स्वामी चिदानंद सरस्वती भी साथ में रहे।

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बक्शी का तालाब स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। उनके साथ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी रहीं। कार्यक्रम में पहुंचकर उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद पुस्तक का विमोचन किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारा बाध्यकारी कर्तव्य है कि हमारी संवैधानिक संस्थाएं एक-दूसरे का सम्मान करें और यह सम्मान तभी होता है जब सभी संस्थाएं अपने-अपने दायरे में सीमित रहती हैं। हमारा लोकतंत्र तब फलता फूलता नहीं है जब संस्थाओं के बीच टकराव होता है। संविधान इस बात की मांग करता है कि समन्वय हो, सहभागिता हो, विचार विमर्श हो, संवाद और वाद-विवाद हो।

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इस मौके पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आनंदी बेन पटेल नाम ही काफी है। जिस प्रदेश में वह शिक्षक रहीं, मंत्री रहीं और मुख्यमंत्री रहीं। आज उस प्रदेश का स्थापना दिवस है। आज श्रमिक दिवस भी है। इस दिन को उनके जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन रखा गया। यह कितना सोच समझकर किया गया होगा। आनंदी बेन इतनी सरल नहीं हैं, जितनी दिखती हैं।

उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश है। सीएम योगी को युवा कहा जा सकता है। आज युवा की परिभाषा समझ नहीं आती है। यूपी आठ साल बेमिसाल के लायक है। यहां महाकुंभ सबसे बड़ा आयोजन हुआ। इसमें 60 करोड़ से ज्यादा लोगों का आना और सफलतम आयोजन होना, सदियों तक याद रहेगा।

भारत के सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे यूपी में हैं
सीएम उत्तम प्रदेश के सारथी हैं। आपका भी आकलन आसान नहीं है। आठ साल में यूपी को बिना टैक्स के ही 12 लाख करोड़ से 30 लाख करोड़ तक ले गए। यह हर अर्थशास्त्री के लिए अचंभा है। प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है। भारत के सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे यहां है। आपके यहां छह शहरों में मेट्रो है।

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उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति व वाद-विवाद जरूरी है। अभिव्यक्ति का कोई कोई अर्थ नहीं है। यदि उसमें वाद विवाद नहीं है। लेकिन, यहां भी एक ईको सिस्टम होना चाहिए। क्योंकि अभिव्यक्ति अगर पराकाष्ठा पर चली जाए तो अधिकार विकार बन जाता है। अहम और अहंकार व्यक्ति और संस्था दोनों के लिए घातक है। हमारी सांस्कृतिक विरासत बेमिसाल है। कोई भी चुनौती दे उसे स्वीकार करना चाहिए। हम चुनौतियों से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं।

अपनों से मिली चुनौती सबसे खतरनाक होती है
उन्होंने पहलगाम की घटना को भी एक चुनौती बताया। कहा कि पीएम के नेतृत्व में हम सुरक्षित हैं। हम एक देश के रूप में उनके साथ खड़े हैं। राष्ट्रवाद हमारा धर्म है। इससे दूर नहीं रह सकते। यही कारण है कि दुनिया आज हमारी तरफ देख रही है। चुनौतियों को अवसर में बदलने की हमारे पास क्षमता है। सबसे खतरनाक चुनौती वह है जो अपनों से मिलती है। किंतु हम उसकी चर्चा भी नहीं कर सकते हैं।

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विधायिका फैसला नहीं लिख सकती है
उप राष्ट्रपति ने बोलते हुए आगे कहा कि सीएम हो, सांसद या अन्य जनप्रतिनिधि हो। सभी की शपथ संविधान के प्रति होती है। जबकि राज्यपाल, राष्ट्रपति की शपथ इनसे अलग होती है। इस तरह के गरिमापूर्ण पदों पर टिप्पणी करना चिंतनीय है। सभी संस्थान अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। चुनाव के माध्यम से 140 करोड़ जनता अपनी भावना जनप्रतिनिधि को चुनकर व्यक्त करती है। जो उनकी आवाज सदन में होती है। विधायिका फैसला नहीं लिख सकती है। मैं न्यायपालिका का सम्मान करता हूं। यहां बहुत सारे प्रतिभाशाली लोग है। उसकी लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है। फिर भी मैं अपील करता हूं कि सभी संस्था आपस में समन्वय सहयोग एवं एक दूसरे के सम्मान के साथ चलें।

 

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